Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अरमां है तुम्हारे दर्दे-गम की दवा हो जाऊँ

 

अरमां है तुम्हारे दर्दे-गम की दवा हो जाऊँ

कभीफ़ूल, कभी शबनम ,कभी शोला हो जाऊँ


तुम्हारी  आँखों  में  बसूँ ,तुम्हारे दिल में रहूँ

तुमसे  दूर  होने  की सोचूँ,तो तनहा हो जाऊँ


अब   यह   न  कहना  कि , अधूरा  हूँ  मैं

मुझे  बाँहों  में  भरो   कि  मैं  पूरा हो जाऊँ


हर  मुहब्बत  दुलहन  बने ,जरूरी  तो  नहीं

इश्क  इबादत  है  मेरी,कैसे मैं खुदा हो जाऊँ


हँस- हँस  के  पूछते  हैं, लोग  नाम तुम्हारा

खुदा  का  नाम  बता दूँ और रुसवा हो जाऊँ


तुम्हारा  प्यार  समंदर  है, डूबी जा रही हूँ मैं

रोक लो मुझको, इसके पहले मैँ फ़़ना हो जाऊँ


तुम मेरी जान हो,जहर दे दो,मगर यह न कहो

यह   कैसी   बात  है, मैं  गुस्सा  हो  जाऊँ


गम  ने  खुद  आके  दिया है सहारा मुझको

मैंने कब मांगा था हाथ कि,मैं उसका हो जाऊँ

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