बहरे – जहां1 में, कश्ति – ए - उम्र2 , ठहर
जाये जहाँ , वो ही तो किनारा है
नाकामी - ए- हयात3 का क्या करना
गिला, दो दिन गुजारना था, गुजारा है
हर दिन होता नहीं, किसी का एक समान
आज दिन तुम्हारा , कल हमारा है
एक बार किस्मत ने मुँह फ़ेरा,फ़िर न कभी
खुला बाबे- इबादत4 ,बहुत बार पुकारा है
वक्ते आखिर आ ही गया,मौत का मजा,बुत
करे खुदाई का दावा,हम कहें खुदा हमारा है
1.संसार रूपी समुद्र 2.ढ़लती उम्र 3.जिंदगी
की नाकामी 4. स्वीकृति का द्वार
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