Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बाकी है बोतल में अभी भी शराब

 

बाकी है बोतल में अभी भी शराब,महताब मत देखो
उसके  और खुद  के दरमियां  का हिसाब  मत  देखो
 
 
सफ़र  जिंदगी का   तय करना  है  तुमको अकेले  ही
किस –किस का  मिला न साथ,पलट कर मत देखो
जहाँ फ़िसलती  जा  रही है, जीवन  से जिंदगी
रेत – सी  फ़कीरे इश्क  की, जात  मत  देखो
 
बेरहम जमाना जिल्लत के सिवा तुमको दिया ही
क्या और तुमसे लिया क्या, इतिहास  मत देखो
 
बदलना  है  तुमको  कर्मों  से  तकदीर  अपनी
तनहा  बैठकर  अकेले में, लकीरें हाथ मत देखो
 
आग  तो  दिल में लिए सभी  घूमते हैं, किसने
लगाई  यह आग, कौन  हुआ  खाक, मत देखो
 
शामे गम है,कुछ उस निगाहें–नाज की बात, करो
ख्वाहिशें  होंगी  दिल  की पूरी, आश मत  देखो

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