Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चले हो जब , किस-किस का मिला साथ

 

चले हो जब किस-किस का मिला साथ मत देखो

रात अंधेरी है मौसम है बरसात आकाश मत देखो

 

बेरहम दुनिया जिल्लत के सिवा तुमको दिया ही क्या

बदलना  है तकदीर  तुमकोलकीर- हाथ मत देखो

 

जलती  हैं यहाँ  रोज चिताएँकत्ल  होता  दिल का

आकाश है धुआँ-धुआँ,उड़ रही किसकी खाक,मत देखो

 

शाम –-गम हैकुछ उस निगाहें नाज की बात करो

हर  ख्वाहिश  होगी  दिल  की पूरीआश मत देखो

 

सड़क खून से लाल है निश्चय,किसी इन्सान का कत्ल

हुआ है,हिन्दू की है या मुसलमान की,लाश मत देखो

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