चंदू के दाँत का दर्द
एक दो दिनों का नहीं,पूरे १५ सालों से हम दोनों सुबह साथ टहलने जाया करते थे । लाख सूरज आग उगले और इन्द्र पानी, कोई फ़र्क नहीं पड़ता था । लेकिन पता नहीं क्यों, अचानक इधर एक सप्ताह से रस्तोगी साहब, टहलने आना बंद कर दिये । उनका न मिलना, मुझे अच्छा नहीं लगता है । दिमाग में कई तरह की भली- बुरी बातें आने लगी है । मेरा टहलना तो जारी रहा, लेकिन नजरें उन टहलने वालों में रहती थीं ,जो सुबह-सुबह टोली बनाकर,कहकहा लगाते हुए मेरे बगल से गुजर जाया करते थे । मुझे लगता था , इन्हीं में से रस्तोगी साहब कोई एक मित्र खोज लिये होंगे । तभी अब टहलने इधर नहीं आते हैं । मैं रस्तोगी के पड़ोसी, दयानन्द से बात कर ही रही थी कि अचानक रस्तोगी जी को मैंने अपनी ओर झटककर आते हुए देखा । उनको देखकर, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । रहता भी कैसे, १५ साल का साथ जो था ; १५ साल , कम नहीं होता, पूरे एक युग ।
रस्तोगी साहब के पास आते ही मैंने प्रश्नों की झड़ी लगा दी । इतने दिनों से आप कहाँ थे ? क्या हुआ था ? मुम्बई से कहीं बाहर तो नहीं थे ? अब सब कुछ ठीक-ठाक है तो ? मैं और कई सवाल करने ही जा रही थी कि रस्तोगी साहब ,मुझे रोकते हुए बोले,’ मुझे कुछ नहीं हुआ था । मैंने कहा,’ कुछ नहीं हुआ था, तो आपकी आँखें सूजी हुई क्यों हैं ?
रस्तोगी साहब बोले,’ तीन रात से सोया नहीं ।’ मैं बीच में बात काटते हुए पूछ बैठी,’आप खुलकर बताते क्यों नहीं ,आपको क्या तकलीफ़ थी ।’
इस पर रस्तोगी जी ने जो कुछ बताया , मैं सुनकर अवाक रह गई । उन्होंने कहा,’ मेरा नौकर बीमार था,उसके दाँत में बहुत दर्द था ।’
मैं फ़िर आश्चर्यचकित होते हुए पूछी,’ तो आप रात-रात भर क्यों जागते रहे ?’
रस्तोगी साहब ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा,’ चंदू के दाँत में दर्द था, साथ में बुखार भी । मेरी आँखों की नींद इसलिए उड़ गई कि कल मेरा क्या होगा, अगर वह इसी तरह विस्तर पर पड़ा रहा तो । बीबी तो कुछ करती नहीं । हर काम के लिए हमें चंदू की ओर ताकना पड़ता है । इसलिए मैं माँ काली के सामने बैठकर यही गुहार लगाता रहा कि उसे जल्दी ठीक कर दो । अगर ऐसा नहीं कर सकती हो,तो उसका दर्द मुझे दे दो । कम से कम घर तो ठीक-ठाक चलेगा । इसलिए रात-रात-रात नींद आँखों से गायब रही । “ मैंने पूछा,’ अब चंदू कैसा है ?’ उन्होंने कहा,’ मुझे देखकर अंदाजा लगा लो ।’
मैंने कहा,’ लगता है कि चंदू अब बिल्कुल ठीक है ।’
रस्तोगी साहब बोले,’ इसलिए तो आज टहलने आया हूँ । चंदू स्वस्थ नहीं रहता, तो मैं टहलता कैसे ?’
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