Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चिराग बन ता-उम्र जले

 


चिराग बन ता-उम्र जले,जिसके इंतजार में हम
वो कहते हैं, बहुत जले तुम , फ़िर भी जले कम

 

खुदा न करे, ऐसी मुहब्बत किसी को नसीब हो
जिसमें आदमी रफ़्ता-रफ़्ता1बन जाये सरापा-अलम

 

उसकी बेवफ़ाई की क्या जिक्र करें,उसके दहर में
इसके सिवा भी हुए हैं हम पे हजारों सितम

 

अहले-सिफ़ारिश2कहते हैं हमारी तकदीर ही बुरी है
वरना , दिलवर के हाथों शिकार होते नहीं हमदम

 

है आज भी यकीं, हमारा जज्बा-ए-दिल3 उसको
खींच लायेंगे एक दिन , तभी तो जिंदा हैं हम



1. धीरे-धीरे 2. दुनिया के लोग 3. जुनून

 

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