चिराग बन ता-उम्र जले,जिसके इंतजार में हम
वो कहते हैं, बहुत जले तुम , फ़िर भी जले कम
खुदा न करे, ऐसी मुहब्बत किसी को नसीब हो
जिसमें आदमी रफ़्ता-रफ़्ता1बन जाये सरापा-अलम
उसकी बेवफ़ाई की क्या जिक्र करें,उसके दहर में
इसके सिवा भी हुए हैं हम पे हजारों सितम
अहले-सिफ़ारिश2कहते हैं हमारी तकदीर ही बुरी है
वरना , दिलवर के हाथों शिकार होते नहीं हमदम
है आज भी यकीं, हमारा जज्बा-ए-दिल3 उसको
खींच लायेंगे एक दिन , तभी तो जिंदा हैं हम
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