चिराग को बुझा दो,रोशनी की जरूरत क्या है
पास मेरे तुम हो , तस्वीर की जरूरत क्या है
होऊँगा जब उम्रे गुलाम , माँग लूँगा खुद ही
अभी से किसी के सहारे की जरूरत क्या है
जो भाग्य में लिखा होगा, वही तो होगा
तकदीर से तकरार की जरूरत क्या है
जिसे मिला आसमां, वह उसका नसीब है
सोचकर मन खराब करने की जरूरत क्या है
तकदीर से ज्यादा, कम किसी को नहीं मिला
हम खुदा नहीं, खुद कोसने की जरूरत क्या है
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