Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चोरी- डकैती, खून-खराबा

 

चोरीडकैतीखून-खराबाअपना मान हुआ

पग-पग लाशें बिछींशहर वीरान हुआ


महाकाल बन आतंकी घूम रहे गलियों में

आदमी का मरना कितना आसान हुआ


दुःखी इंसान किसके गले लगकर रोय

पराया तो परायाअपना भी अनजान हुआ


जहाँ से चलकर मनुज यहाँ तक पहुँचा

मुड़कर देखा तोवह भी गुमनाम हुआ


हर तरफ है बस यही चर्चापाखंडी बाबा

जो आदमी का था दुश्मनअब भगवान हुआ'




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