डरता हूँ हाले दिल सुनाने से
उस बेवफ़ा की बात बतानेसे
किस तरह बरस पड़ी थी, चाँदनी
रात में, रुख से परदा हटाने से
मेरे इश्क की किस्मत फ़ूट गई थी
डरता हूँ आज भी उसे आजमाने से
शाखे-गुल का आखिरी फ़ूल भी टूट
गया, एक बहार का , देरकर आने से
रोज नंगी सड़कों पर भटकती रात,उसे
किसने रोका, पाँव में घुँघरू बंधाने से
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