Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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देखो कहर मौसम ने कैसा ढाया है

 

देखो कहर मौसम  ने कैसा ढाया है

घर  कब्र  बनाकिस शैतां का साया है

बच्चे यतीम हो गये,दाने-दाने को तरस रहे

 माँ का आँचल है पिता का साया है


गाँव  वीरान  हो गया भूत काडेरा है

नाले अर्श को किसने हिला आया है


सुना  है फ़ितरत  सोती जब,पत्ता भी नहीं

खड़कता , यह कहर किसने ढाया है


क्या  हमारी  तकदीर में आती जब रात 

उसके भी हिज्र में आता अंधेरा का साया है


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