Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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देखते- देखते इन्सान बदल जाता है

 


देखते- देखते इन्सान बदल जाता है

पीते -पीते ज़ाम बदल जाता है


पहचान बदल जाती हैकाम बदल 

जाता है,लोगों का नाम बदल जाता है


हुस्न आता नहीं शबाब परकि 

देखने वालों का ईमान बदल जाता है


जब गर्दिश में हों सितारेतब 

किस्मत क्या, भगवान बदल जाता है


शान बदल जातीआन बदल जाती है

दूरियाँ इतनी,आसमान बदल जाता है


जमाना बदलने से दुनियानहीं बदलती

राह वही रहता,रहमान बदल जाता है

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