Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिल देकर दिल न लेना, किसका कसूर है

 

दिल देकर दिल न लेना, किसका कसूर है
इस बात पर चर्चा महफ़िल में हुआ जरूर है

 

तुम्हारी नजर में वह कुछ न सही,मगर मरहम
की जुस्तजू1 में वह घिरा हुआ दूर-दूर है

 

दुनिया-ए-बाग का यक जर्रा-ए-जमीं2बेकार नहीं
लाले3 खिले नहीं तो,उसे कुछ हुआ जरूर है

 

दिल खामोश है उसका, फ़रियाद से मजबूर है
या खुदा! इस अंजुमन4में वह कितना माजूर5है

 

उभरते हुस्न पर नाज किसे नहीं होता
मगर इतना नहीं , उसे जितना गरूर6 है



1.तलाश 2. मिट्टी का कण 3.फ़ूल 4.महफ़िल
5.मजबूर 6.अभिमान

 

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