दिल प्यार में पागल है, बताऊँ कैसे
उस बेख़बर को ख़बर पहुचाऊँ कैसे
अपने जज़्बात पर काबू पाऊँ कैसे
लगीदिल की आग को बुझाऊँ कैसे
यह दुनिया पहले सी दुनिया नहीं रही
दुनिया में रहकर दुनिया को बताऊँ कैसे
दिलाना था उसे विश्वास,अर्श से फ़र्श तक
मेरा कोई नहीं,मगर विश्वास दिलाऊँ कैसे
कहीं जल न जाये ख़ेमा –ए -फ़लक
अपनी आह को सोज़-नाक बनाऊँ कैसे
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