Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिल – रुबा ये तो बतला , तुम्हारा ठिकाना कहाँ है

 

दिल – रुबा ये तो बतला तुम्हारा ठिकाना कहाँ  है

किस  राह  से  चलना   हैमुझे  जाना  कहाँ  है

 

सुना  है तुम पर मरने  वाले लाखों हैं  शहर  में

मैं चाहूँ अगर मरना ,तो मरने का  ठिकाना कहाँ है

 

कब से  ढूँढ़ रहा हूँ , नजर आती नहीं तुम,  तुमको

सुनाना  था दिले -हाल अपना ,मगर सुनाना कहाँ है

 

ये नयन तरसते हैं ,दिल उदास हैप्राण बिना काया

जीये  तो कैसेबतलाना था मगरबतलाना कहाँ है

 

पूछते हैं लोग मुझसे तुम्हारे दिल को किसने तोड़ा

दिखाना तो था ,तुम्हारे घर  का  ठिकाना  कहाँ  है

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