दुनिया मेरी बदल गई, एक उनके आ जाने से
मुंतजिर1 थीं, आँखें मेरी जिनके लिए जमाने से
वक्त के पैमाने में है जहर भरा, अजलरोज2
आ जाती पिलाने किसी न किसी बहाने से
कहती दोनों जहां का गम साथ लेकर,चलती हूँ
मेरा जी नहीं भरता थोड़े गम पिलाने से
दिल में सौ शिकवा-ए-गम है,पूछने वाला कोई
नहीं, फ़ायदा क्या आशना3 को गले लगाने से
वो इन्सां ही क्या, जो बफ़टके न गम के पास
कभी घबड़ाये अहबाब4 का जनाजा उठाने से
1. व्यथित 2. मौत 3. पहचाना 4. मित्र
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