Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दुनिया जिसे नींद कहती है

 


दुनिया जिसे नींद कहती है

जहाँ  में  वह क्या चीज होती है


आँखें हम बंद करते हैं

मिलने की तरकीब होती है


जिसे हम खुली आँखें दे नहीं सकते

देखने की तहजीब होती है


फ़िक्र  नहीं  रहती  मिलने  की, दूर

रहकर भी वह दिल के करीब होती है


यह  नींद  बड़ी  अजीब चीज होती है

न तो  अमीर, न  ही  गरीब होती है

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