Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

गैर की जिक्रे वफ़ा न करो तो अच्छा है

 


गैर की जिक्रे वफ़ा न करो तो अच्छा है
जहरे - हलाल को कंद न कहो तो अच्छा है

 

जिस राह पे चलके दिल मेरा खाक हुआ
उस राह चलने न कहो , तो अच्छा है

 

राहे मुहब्बत में किसी का कोई रफ़ीक नहीं होता
तुम्हीं कहो,तुम अच्छी या तुम्हारा हिज्र अच्छा है

 

जिस बात से बेगानगी की बू आती हो
खुदा के लिये वैसी बात, न करो तो अच्छा है

 

तुम्हारी चाहत ने अर्श पर बिठाकर रखा मुझे
नजरों से न गिराओ , तो अच्छा है

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ