Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गाँधी

 


गाँधी



आज  गाँधी  का  जनम   दिन  है

माता   पुतली   का   है   उपवास

आओ , चलो ,  चलकर   हे   सब

मानव जाति,लोक अभीप्सा के प्रतीक

चिर  जीवित , बापू  के स्मारक पर

श्रद्धा   के   दो   फ़ूल  चढा़यें, और

हाथ   जोड़कर  करें  उनसे  विनती


कहें, हे  मानव-प्राण सिंधु के अधर से 

हरित  पट  से लिपटे रहने वाले बापू !

एक  बार  फ़िर से तुम धरा पर आओ

खिसका   जा   रहा , भारत  माँ  के

उरोज  शिखर  से मलयाचल,उसे रोको

कर दो फ़िर से भारत के पुण्यभूमि को

देवों  के  अमृत  सागर –सा  विस्तृत


तुम  बिन  आँसुओं  के  आँचल से ढंककर 

रोता  ,  विश्व    का    उजड़ा    प्रांगण

विदग्ध जीवन के स्वर शोर से कंपित होकर

लहराता ,  विधुर    हवा    का    दामन

लगता ,  प्रिय  हिमालय  का  हिम  कण

जो  घेरे  रखता  था , मानव  का  जीवन

धरा  से  उठ  गया , अब  कौन  करायेगा

सौरभ  के  गुंजित  अलकों से सुमन वर्षण




तुम्हारा  सहधर्मी, मालवीय, सुभाष, लाल

जवाहर   और   पटेल   अब  नहीं  रहे

कौन   फ़हरायेगा  वन - उपवन , सागर

मरुस्थल में जाकर भारत का विजयध्वज

कौन  चीरकर  भू  तम  के आवरण को

भरेगा     उसमें     रश्मि  ,   जिससे

आलोकित   होगा   धरा   का   जीवन


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