हम दोनों मिल के ,कुछ दूर चल के
क्यों अलग हो गये, हमारे रास्ते
आज जिंदा हैं, दुनिया में हम मुर्दों की तरह
हम तो बने थे, एक दूजे के वास्ते
गुमरही का खौफ़ हमको नहीं है साथी
हमको गम है, हम मर क्यों नहीं जाते
जो जानते, निगाहे-शौक, तमन्ना बनकर
रहेगी,सोजिश-दिल1 को जबां पर क्यों लाते
मेरे रकीब2 को भी मुझ पर आता है रोना
कहता,तेरी तरफ़ मुझसे और देखे नहीं जाते
1.दिल की जलन 2. दुश्मन
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