हम जख्में तमन्ना धो आये हैं
अपनी बेवशी के आँसू रो आये हैं
उम्मीदों का सफ़ीना1 रखता कहाँ
उसे बहरे गम में डुबो आये हैं
शम-अ की तरह रात कटती सूली पर
अपने अजीज को खो आये हैं
खुदा रखे जिंदगी उसकी सलामत
हम उसकी राह में फ़ूल बो आये हैं
कब मुकद्दर दिया साथ,हम तो खयाले-
सुबह2 में अपना आस्तीं भिंगो आये हैं
- कश्ती 2. सुबह की चिंता
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