हम जो जानते ,तो कभी नैन न लगाते उसके साथ
दिल को खाक में मिला देते,इन आरजुओं के साथ
जो चीज हमारी नहीं, हमारे हिस्से की नहीं मत करो
उसके लिए जिंदगी बर्बाद ,मत जीओ स्वप्नों के साथ
स्वप्न काक्या भरोसा ,स्वप्न, स्वप्न है होता
बिखर जाता प्रात: , सूरज की पहली किरणों के साथ
तमन्ना था कि एक बार मिल लूँ,अपने उन सपनों से
ऐसे तो मिटना अब तय है ,अधूरे अरमानों के साथ
है अगरअब्र को बरसकर ही मिटने का अभिशाप
तो क्यों न बहर पर जाकर बरसे, खेले लहरों के साथ
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