Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हम पे जो गुजरी , हम जानते हैं

 

हम    पे जो गुजरी ,  हम जानते    हैं

बाकी तुम्हारे, रहमो-करम  जानते हैं


फ़ैलायाहैजो   तुमने गम का अंधेरा

वह  कितना है गहरा, हम  जानते हैं


दुनिया  हमारी वीरान हो गई, हमारा

दर्द  बेजुवां  क्यों रहा, हम जानते हैं


दिनकटता  नहीं, कुछ  जँचता नहीं

रात  कटती नहीं क्यों, हम जानते हैं


अश्क  आँखों  में  अब  आता  नहीं

साँस टूटती  नहीं क्यों, हम जानते हैं


हमारा यह जीवन अमानत है जिसका

वह लगता हमारा कौन, हम जानते हैं




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