Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हम तुम्हारे प्यार में, दर– बदर गये

 


हम  तुम्हारे प्यार  में,  दरबदर गये

तुम से गले  मिले, बरसों   गुजर  गये


कोई आवाज मेरी तुम तक पहुँचती नहीं

राह  तकते नज़रों से  मंजर गुजर गये


पवन  जो लाते थे ,तुम को छूकर कभी

तुम्हारी  खबर, जाने वे  किधर  गये


दान- पुण्य,पूजा- पाठ, मिन्नतें- विन्नतें

आरजू -  दुआएँ,   सभी  बेअसर  गये


गुजर  रही  यादों  के  कारवाँ आँखों से

ढुलक करधुंधमें  बिखर गये

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