Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हमने मर-मर कर जीना सीख लिया

 


हमने  मर-मर कर  जीना  सीख लिया

बेदर्द  जमाने   से, लड़ना  सीख लिया


अब   दरम्यां, पहाड़  आये  या  सागर

टकरा  कर  पार   करना  सीख लिया


कब  तक  मुँह छुपाकर रोता तकिये में

बाहर  निकलकर चिल्लाना सीख लिया


ज़हर  लगती  आव-ओ-हवा-ऐ  जिंदगी

उम्र के पैमाने में,वफ़ा भरना सीख लिया


छोड़  करना  फ़रियाद,ज़माने  के आगे

अपने  दुख की दवा, करना सीख लिया

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