Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हर शाम बैठकी, बिठाई जाती है

 


‘हर शाम बैठकी, बिठाई जाती है

हर रोज बेटी, शूली चढ़ाई जाती है|


हर जख्म एक दूजे से अलग हो

इसकी पूरी एहतियात बरती जाती है|


हर बार रश्म के निभाने के पहले

मुँह पर काली पोती जाती है|


फिर घर के कोने में रखे पेट्रोल को

छींटकर आग लगाई जाती है|


बदकिस्मत है बेटी, खर-फूस की तरह

जमाने के हाथों रोज जलाई जाती है|’

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