हिन्द है वतन हमारा, हम हिन्द के पुजारी
हिन्द है वतन हमारा, हम हैं हिन्द के पुजारी
जागें तो , हिन्द केआनन में जागें
सोयें तोहिन्द की नीव तले सोयें
हिला सके न इसके, विटपडाल को कोई
बनी रहे सदा इसके सत्पथ की हरियाली
हिन्द है वतन हमारा,हम हैं हिन्द के पुजारी
नील कुसुमों की बारिश, होतीरहे इसके आनन में
उमड़ता रहे जन –जनकी आँखों से,सुषमा का पानी
हँसता रहे, जलता रहे इसके वृत्तों पर, अनंत अम्बर
के रत्न – तारों समान , मंगलमयअनेकोंदीप
इसके वर्तमान,भविष्य के गह्वर में जीता रहे,जलधि–सा
गंभीर, विनय –सा विनीत, झंझा - सा बलवान गाँधी
हिन्द है वतन हमारा, हमहैं हिन्द के पुजारी
हमारे जीते जी विश्व में,झुके न कभी तुम्हारा भाल
करता है अगर ऐसा दुस्साहस कोई,तो कसम है
हमको तुम्हारी, फ़ोड़कर रख देंगे , अनंत पाताल
एक बारदेखो तो, कर अपना आदेश जारी
हिन्द हैवतन हमारा, हम हैं हिन्द के पुजारी
तुम्हारे कण – कण मेंहै नरता, मानवता
सखा , शूरता , निर्भयता भरी हुई
कौन तुमको ललकारेगा, किसमें प्रभुता इतनी
सूरज – चाँद, भू – नभ, सभी नत हैं तुम्हारे आगे
तुम्हारी माटी में है,गुरु गोविन्द सिंह की अमृतवाणी
जो बता रही,मत टिको,मदिर मधुमयी शांत छाया में
यह पड़ाव जीवन – रण का नहीं है आखिरी
हिन्द है तन हमारा, हमहैं हिन्द के पुजारी
हम औरों की तरह मूढ़ नहीं,जो बजा-बजाकर दुंदुभि
दिन – रात अपनी पौरुषता का बखान करें
पुण्य पावककी लौ से सदा ही प्रकाश्यमान रही
भारत की भूमि,यही संदेश लेकर आती उषा की लाली
सकल विश्व में भारत देश के धर्म कीबजती भेरी
हिन्द हैवतन हमारा, हमहैं हिन्द के पुजारी
हम अपनी बाँहों में मही को फ़ूलों –सा उठाये घूमते हैं
मगर जरूरत क्या अम्बर को कँपाने की,वहाँ इन्द्र रहते हैं
फ़िर भी अगर कभी कोई तूफ़ां बढ़ती है हमारी ओर
तो उसेडराने, भूडोलकरने में नहीं होगीजरा भी देरी
हमारे लिए नया होगा मैदान मगर,तलवार होगी वही पुरानी
जिस पर चढ़ा हुआ है वीर महाराणा के विजय का पानी
हिन्दहै वतन हमारा, हम हैं हिन्द के पुजारी
हम दुश्मनोंको दिखा देंगे, हिमवतही
अपने हाथोंमेंअंगार उठा सकता है
जो अपने सिर पर असि घात सह सकता है
वही अपने ललाट पर रक्त चंदन कर सकता है
इसलिए जो हिन्द के पानी में जहर घोलेगा
उसे भी हम उस जहर काभाग पिलायेंगे
मिट जायेगी उसके कदमों की निशानी सारी
हिन्द है वतन हमारा, हम हैं हिन्द के पुजारी
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