Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हुस्नवालो , कभी मेरी गली भी आया करो

 
हुस्नवालो , कभी  मेरी  गली भी आया करो
नर्म  इशारों   से   मुझे  भी  बुलाया  करो
 
मैं  भी   हूँ . तुम्हारे  चाहनेवालों  में  एक
अफ़साना ऐ दिल, कभी मुझे भी सुनाया करो
 
माना  कि  सैरे- बाग  हो  तुम, हर   वक्त
मौजे- मये-  नाब  से  न   लहराया   करो
 
बेज़ार अगर  मिल जाये, कोई तुमको मुझसे 
मुख्तार बेहतर,तो उससे भी दिल लगाया करो
 
घेरा  है जो गम मुझको, मिले उससे फ़ुरसत
कभी   मेरी  गली  भी, जी  बहलाया  करो

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