Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इधर भी दर्द होता है

 

इधर भी दर्द होता है
उधर भी दर्द होता है

 

तुमने छुआ , जहाँ - जहाँ
वहाँ - वहाँ दर्द होता है

 

दर्द तब और बढ़ जाता है
जब मौसम सर्द होता है

 

आँखें झड़ती हैं , सामने
जब तुमसा कोई मर्द होता है

 

तारा, इश्क वह रोग है, जिसका
दुनिया में, न कोई मर्ज होता है

 

 

डा० श्रीमती तारा सिंह

 

 

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