जब दुख का बादल छाता है
आस-पास कुछ, नजर नहीं आता है
अपनों के बीच मन घबड़ाता है
तनहाई में दिल, सकून पाता है
मरु की प्यास, बाँहें फ़ैलाये रहती है
झोंका हवाका, तन को झुलसाता है
मौत गले लगाना तो चाहती है
मगर दिल दुश्मन छुड़ा ले आता है
मत पूछ दिले-हालात क्या होता है
आँखें देखतीं वही,जो भाग्य दिखलाता है
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