Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जब ताजा ज़ख्म सिलाने निकले

 



जब ताजा ज़ख्म सिलाने निकले

कई  ज़ख्म  बहुत पुराने निकले


कुछ  रुलाने  केबहाने निकले

कुछ  सताने  केबहाने निकले


कुछ  किश्तों  में चुकाने निकले

कुछ  मिलने  केबहाने निकले


अलग-अलग सबों की कहानी थी

सभी दर्दकेबहाने  निकले


सितमगर , सितमगरहै  होता

दर्द  सोया  नहीं,जगाने  निकले

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