जबाँ पर हम ला न सके वो अफ़साना1
रात तुमने किया, जो न आने का बहाना
मुद्दत से बेरंग है नक्शे-मुहब्बत2 हमारा
हम बैठे हैं हाथ पर हाथ धरे, ज्यों कोई बेगाना
दोस्ती निभती नजर आती नहीं, महबूब से
मंजिले – हस्ती3 को समझती मुसाफ़िरखाना
न सुबहे - इशरत4 है, न शामे- विसाल5 हमको
जबसे छोड़ा है उसने मेरे कूचे में आना
नूर में होती इतनी जुल्मत6, हुआ आज उसकी आँखों
से साबित, खुदा इस शातिर निगाह से हमें बचाना
1.कहानी 2. प्रेम का चित्र 3. जिंदगी की मंजिल
4.प्रात:कालीन सुख 5.मिलन की संध्या 6.शैतानी
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