जिक्र मेरा मुझसे बेहतर है, उस महफ़िल में हो
जहाँ खाक में मिली हसरतें मेरी, उस दिल में हो
है मुझे भी मालूम शम-अ-कुश्ता1, दरखुरे महफ़िल2 नहीं
होता,मगर मेरे ख्वाबों के जलते दीये तो महफ़िल में हो
राह दिखलाये कौन यहाँ, कोई रहबर3 नहीं, अपना
गुहार लेकर इन्सां जाये कहाँ,जब वह मुश्किल में हो
बज्म-हस्ती4 अपनी आराइश5 पर न इतना गुमान करो
जिंदगी भी रहे-मंजिल में है, तुम भी रहे-मंजिल में हो
काँपता फ़िरता है, खुदा तुम्हारा रंगे-शफ़क6को हसार7पर
हम तो मजबूर हैं ,तुम किस मुश्किल में हो
1.बुझा हुआ चिराग 2. महफ़िल के लायक 3.पथ प्रदर्शक
4.जीवन रूपी महफ़िल 5. शृंगार 6. प्रात: और शाम की लालिमा 7. पहाड़
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY