Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिंदगी भर का नशा, उसकी आँखों के

 


जिंदगी  भर का नशा, उसकी आँखों के पैमाने में है

पर उसे मालूम कहाँ,मजा क्या उसके छलकाने में है


माना कि  दुनिया में धूप, उसकी नाजो- अदा की है

मगर  नजरों के  तीर तो, दुनिया  से उठाने  में है


अभी तो  मोहब्बत  ज़िश्त के कराह  से, बेकरार है

नहीं तो  इश्क का  मजा शायरों के शाख़साने में है


मेरे ये  नगमें किसके  लिए हैं,मुझको  मालूम नहीं

इश्क  की  खुद्दारी  तो, चुपचाप  मिट जाने  में है


तर्के मोहब्बत करने वाले,इश्क आग है और पानी भी

इश्क का  मजा तो इसमें  डूबकर उतर  जाने में है

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