Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

जिंदगी की शाम ढ़लने लगी

 

जिंदगी    की    शाम    ढ़लने  लगी

न  तुम  मिले, न तुम्हारा सहारा मिला


भटक  गये  गम  के  अंधेरे  में  हम

उम्र   भर  न  तुम्हारा  इशारा  मिला


हम  अकेले  थे, दिल  भी  बीमार  था

न  दवा  ही मिली,न तीमार-दारा मिला


मौत  ने  जब मुस्कुराकर  पुकारा मुझे

लगा ,  जिंदगी   को   किनारा  मिला


मिट  गये  जमाने  के  सारे गिले,अब

न   शिकवा  रहा , न  शिकारा  मिला


आ  गये  जिंदगी  से  बहुत  दूर  हम

न  तुम  मिले, न दामन तुम्हारा मिला


चलते- चलते आ गए हम किस मोड़ पर

जहाँ न सूरज मिला,न चाँद दुलारा मिला


दूर  तक  आसमां , आसमां  था  मगर

आसमां   में  न  कोई  सितारा  मिला

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ