जिंदगी, नसीब के साथ चलना है तुझे
न चाहकर भी संग रहना है तुझे
उससे अलग तेरी, कोई कद नहीं
राह का खार क्या,गुल भी कुचलना है तुझे
जिंदगी, तेरे कब्जे में तू खुद भी नहीं
बख़्त के साथ गिरना, सँभलना है तुझे
माना कि तू हकीकत है और कहानी भी
फ़िर भी ऋतु के साथ बदलना है तुझे
ऐसे तो,अभी रुकने का बख़्त नहीं,फ़िर भी
नसीब रुकाये तो रुकना है तुझे
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