Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिंदगी तुमको दूर से ही हम पहचानते हैं

 


जिंदगी  तुमको     दूर से     ही  हम पहचानते हैं

तुम्हारी  कदमों  की  आहट  को हम जानते हैं


जब  भी  दुनिया  से  जी  घबड़ाता  है हमारा

तुम्हारे  ही  नाम  की  चादर  हम  तानते  हैं


कोई घटा न  हो तुमको, मौत  की करोबारी में

सर  आँखों पर  मौत को बिठाना हम जानते हैं


तुम्हारी  नज़रों  में हम तिनका ही सही, मगर

आँधियों   के   रुख   को  हम  पहचानते  हैं


तुम्हारी बेवफ़ा निगाह से बचने में उम्र गुज़री है

काफ़िला आमादा-ए-सफ़र क्यों है, हम जानते हैं

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