जीते जी रिश्ता तुमसे तोड़ा न गया
चाहकर भी दिल से तुम्हारा साया न गया
हर पल आँखों में रहती हो ,तसवीर बनकर
तुम से आगे भी कुछ है , सोचा न गया
रह गई मेरी जिंदगी,एक अधूरी ग़ज़ल बनकर
काफ़िया मिला, मतला को ढूँढा न गया
शहादतगहे-हस्ती में जिंदगी इतनी दूर रही
मौत को चाहकर भी गले लगाया न गया
अश्क को ज़ाम समझकर पीता रहा
ज़ाम -ए गिलास खाली था, बताया न गया
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