जो बैठो तो, लिपटकर बैठो
न बैठो तो कुछ हटकर बैठो
यूँ पलट- पलटकर देखती हो क्या
बैठना है तो घूँघट उलटकर बैठो
ऐसे भी यहजगह नहीं अलग
बैठने का ,बैठना है ,सिमटकर बैठो
रेत की तरह निकली जा रही जिंदगी
कुछ करना है, तो झटकर बैठो
हमें क्या,तुम यहाँ बैठो या वहाँ बैठो
मगर जहाँभी बैठो , डटकर बैठो
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY