जो पूछो तुम हमसे, हम क्या करते हैं
हरचन्द तुम्हारी खुशी की हम दुआ करते है
देती जो न वह दिल हमें,हम चैन उसे
कहाँ से देते ,ख़ुदा से यही हम कहा करते हैं
बाद जब मिलती फ़ुरसत रोने से खुद से
अपनी रामकहानी हम सुना करते हैं
अब ख़ुदा जाने ,हम ये क्या करते हैं
अपना भला या दूसरों का हम बुरा करते हैं
झकझोरती जब डालियों को सर्द हवा सदा
फ़तहनसीबी कोई नहीं होता,हम कहा करते हैं
डा० श्रीमती तारा सिंह
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