जो तुम हसरते - दीदार1 का इजहार न करती
कसम ख़ुदा की , हम तुमसे प्यार न करते
जिंदगी काट लेते, गमो हसरत के जोश में
दागे - मुहब्बत को दिले - गुलजार2 न कहते
अपने महरूम-किस्मत3 की शिकायत मालिक से
करते, जो सहरा4 में ताकते-खलिशे5 खार6 न होते
काश कि कातिल की तरह गवाह भी करीब होता,
हम खंजर से चीरकर अपने सीने को शर्मसार न करते
जो तुम रंगे-रुखसार7 बन याद न आती, हम अपने
सपने को तुम्हारे जल्वे से गुलजार न करते
1.देखने की इच्छा 2.रंगीन दिल 3.दुर्भाग्य 4. जंगल
5. चुभन 6. काँटे 7. रंगीन गाल
डा० श्रीमती तारा सिंह
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