Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जो तुम न होती

 

जो तुम न होती, हम न होते

किस्सा-ए   गम   न   होते


रात-रात  भर  जाम  चलता

कोई  किसी  से कम न होते


दुनिया की नजरों में हम सही

मगर  हम , हम  न   होते


होता  कोई  हम  जैसा मगर

हम  सा कोई हमदम न होते


देता  जो  भाग्य साथ हमारा

हम  इतने  बेरहम  न  होते 


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