Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जुवां पर लिखकर नाम तुम्हारा सोता हूँ

 

जुवां  पर लिखकर नाम तुम्हारा  सोता हूँ

उठकर सुबह आँसुओं  से धोता हूँ


काट  दिये  गरजकर  जिंदगी के  जो दिन

तुम  बिनकर  याद  उसे  अब  रोता  हूँ


दुनिया  में इश्क नाम की चीज  रह जाये

हर किसी  से  लड़ाई  मोल लेता हूँ


रात-दिन  मरने की दुआएँ  माँगता हूँनिभ 

चुकी  रश्में-दोस्ती  मुझसेबहुतसोचता हूँ


जिसने  लूटा  चमनेइश्क  मेरी निगाहों से

उसके दोस्तां मिजा की तारीफ़ क्या,सोचता हूँ

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