जुवां पर लिखकर नाम तुम्हारा सोता हूँ
उठकर सुबह आँसुओं से धोता हूँ
काट दिये गरजकर जिंदगी के जो दिन
तुम बिन, कर याद उसे अब रोता हूँ
दुनिया में इश्क नाम की चीज न रह जाये
हर किसी से लड़ाई मोल लेता हूँ
रात-दिन मरने की दुआएँ माँगता हूँ, निभ
चुकी रश्में-दोस्ती मुझसे, बहुत, सोचता हूँ
जिसने लूटा चमने- इश्क मेरी निगाहों से
उसके दोस्तां मिजा की तारीफ़ क्या,सोचता हूँ
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