Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कब पूरी होगी अब तमन्ना मेरी

 


दरे-कबूल से   टकराकर  रह  गई , दुआ  मेरी

खुदा  जाने  कब  पूरी  होगी  अब  तमन्ना मेरी


मैकदे से निकलकर बुतकदे में गया, पाँव तो जमा

दिल न  जमा, बीमारे- गम  बन  गई  दवा मेरी


मुबारक हो, तेरी बचैनी के दरिये को पतवार मिला

मेरे  लिए चार गज कफ़न बहुत है, दिल-रुबा मेरी


तुझे पाने के इज्तिराबे-शौकमें खुद को भूल गया

मय  के  कतरे ने मुझे फ़िर से याद दिलाया मेरी


क्या जिद है तेरी, तुम जानो, खुदा जाने,मगर दिल 

की तसल्ली के लिए,एक नजर बहुत था बेवफ़ा तेरी



1.स्वीकृति का द्वार 2.उत्सुकता की बेचैनी में

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