कैसे कह दूँ , मुझको उससे प्यार नहीं है
मरता है दिल जिस पर,उसका इंतज़ार नहीं है
खोयी- खोयी रहती हूँ, जिसके दीदार में
हर पल , तनहा दिल उसका बीमार नहीं है
दोनों जहाँ हारे जिसकी मुहब्बत में,उसके
सुख-दुख से हमारा कोई सरोकार नहीं है
वही तो है मेरी अफ़कार,अशआर की दुनिया
उसके सिवा, दूसरा कोई ख़तावार नहीं है
बेशकीमती है यह गमगाही मुहब्बत, मगर
बिके जहाँ में, बना ऐसा कोई बाज़ार नहीं है
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY