Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कैसे कहूँ दिले हाल अपना, बेरुखी पे तुली

 

कैसे  कहूँ  दिले  हाल अपना, बेरुखी  पे  तुली

अहले–दुनिया1कहती,तू बात करने काबिल नहीं है


तेरे   सीने   में  जो  धड़कता  है   दिल, वह

दिल  तो  है , मगर  जिन्स-ए-दिल2  नहीं  है


दुनिया  ने  दागे- सौदा का  नजराना  दिया है

तुझको ,तू कहता,मेरा दिल इसके काबिल नहीं है


तू  न  किसी  का  हुआ, न  तेरा कोई हो सका

तू मुसाफ़िर है उस पथ का,जिसकी मंजिल नहीं है


अजलतुझको गले लगाकर, कहाँ से कहाँ ले आई

तू कहता,सिवा हसरते,5मुझको कुछ हासिल नहीं है



1. पूरी दुनिया  2. दिल जैसा दिल  3. पागलपन       

4. मृत्यु   5. तमन्ना


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