किस राह चलना है,चलने से है क्या डरना
मरना जब मुकर्रर है,इन बातों से है क्या करना
तुम्हारी मोहब्बत ने हमें यहाँ खींच लाया है
सिवा तुम्हारे मेरे लिए और यहाँ है क्या वरना
खिज़ा का गीत कोई गाता है अगर,बहार आने के
बाद भी, तो गाता रहे, हमें इसमें है क्या करना
सँभल जायेंगे हौसले जब, उनके टूटे दिल के
तब खुद–ब- खुद समझ जायेंगे, हमें है क्या कहना
जिसने सूरज को पैदा कर अंगारे को उसमें भरा
वही होश भी देगा,शिकायत किरणों से है क्या करना
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