Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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किसने तोड़ा है तुम्हारा दीर्घ विश्वास

 


किसने तोड़ा है तुम्हारा दीर्घ विश्वास




आओ मेरे प्रियवर ! मेरे जिवन की बहार 

किस स्मृति की विस्मृति ने किया है

तुम्हारे हृदय पर इतना गहरा घाव 

जिसकी पीड़ा रिस -रिस कर अश्रुजल 

बनकर तुम्हारे दृगों से निकल जा रही है

फिर भी तुम अपने हृदय नाद को

जग कोलाहल के अगम समुद्र में डुबो

देने का कर रहे हो असफल प्रयास 


किस निर्मम बंधन में तुम बंधे हुए हो

किसकी दुख गाथा पर जलाते हो अपना

हृदय रक्तकिस निष्ठुर ने तोड़ा है,तुम्हारे

दीर्घ प्यार का विश्वास जो निःस्वर गृढ जीर्ण 

दर्द तुम्हारानवनीत तुल्य हो उठा है साकार

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