Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कोई रातों को देकर आवाज, मुझको बुलाता है

 


कोई  रातों  को देकर आवाज, मुझको बुलाता है

सौ  मुल्कों में फ़िरा,कहीं न मिली वफ़ा,कहता है


कभी  सोज-ए-सीना दाग  दिखाकर , खुद  को

दर्दे-गम  में  घायल  होने  की  बात  करता है


कभी  कहता है, अपनी ही फ़िक्र में शब-ए-वस्ल2 

गुजर गई, अब  जिक्रे  ज़माल3  से जी डरता है


कोई उसे समझाये कैसे,गुजरा वक्त कभी लौटकर 

नहीं  आता  है, क्यों  वह तकरारे-दिल4 करता है


जिस इश्के-गुनाह को याद कर,आँखों में खूने-दिल 

भर आता  है, उसे  वह याद ही क्योंकर करता है



1.सीने की जलन 2.मिलन की रात 3.सौन्दर्य 

4. दिल से तकरार

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