Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कोई हमें बुरा कहता है तो कहने दो

 

कोई  हमें  बुरा  कहता  है  तो कहने दो

चाँद को सूरज समझता है तो समझने दो


छोड़ ख़ुदा को कोई  ख़ुदा नहीं दूसरा कोई 

टोपी को मुकुट समझता है तो समझने दो


दुनिया में सब  की अपनी- अपनी ,अलग-

अलग  डफ़ली  है, बजाता है,तो बजने दो


जिंदगी  है चार  दिनों की, पाँचवें दिन की

कोई  बात   करता  है  तो   करने   दो


बहार  उतरी  है, गवाही  दे  रहे गुल गुंचे

शज़र सभी,कोई नहीं कहता है,तो कहने दो


वादे   सबा   उड़  रहे  चमन   में, कोई 

सर पर ,राख  मलता  है, तो  मलने   दो

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