कुछ गम तुमने दिये,कुछ आसमानी है
किस्मत का खेल है,कहना बेईमानी है
बज्में-अहबाब1 में भी,दिल रहता है उदास
खुदा जाने उसकी क्या पड़ेशानी है
दर्दे-दिल पैदा हुआ ,दर्दे-जिगर जा रहा
आगे की मत पूछो, किस्सा तुलानी है
हुस्न कातिल से तपिशे दिल की बात कर
उससे वफ़ा की उम्मीद रखना नादानी है
दरिया-ए-जिंदगी में कैसे-कैसे हस्ती डूबे
तुम कहते , बश घुटने भर पानी है
1.मित्र - मंडली
डा० श्रीमती तारा सिंह
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