Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कुछ गम तुमने दिये,कुछ आसमानी है

 

कुछ गम तुमने दिये,कुछ आसमानी है
किस्मत का खेल है,कहना बेईमानी है

 

बज्में-अहबाब1 में भी,दिल रहता है उदास
खुदा जाने उसकी क्या पड़ेशानी है

 

दर्दे-दिल पैदा हुआ ,दर्दे-जिगर जा रहा
आगे की मत पूछो, किस्सा तुलानी है

 

हुस्न कातिल से तपिशे दिल की बात कर
उससे वफ़ा की उम्मीद रखना नादानी है

 

दरिया-ए-जिंदगी में कैसे-कैसे हस्ती डूबे
तुम कहते , बश घुटने भर पानी है

 



1.मित्र - मंडली

 

डा० श्रीमती तारा सिंह

 

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